विद्यालय में प्रार्थना सभा कार्यक्रम का अपना महत्व होता है प्रार्थना सभा कार्यक्रम किसी भी विद्यालय का दर्पण होता है क्योंकि प्रार्थना सभा कार्यक्रम के द्वारा यह मालूम किया जा सकता है कि विद्यालय का शैक्षणिक स्तर कैसा है ? अनुशासन कैसा है ? जहां तक अनुशासन की बात है यह देखा गया है कि जिस विद्यालय में प्रार्थना सभा कार्यक्रम संचालन सही ढंग से नहीं होता है उस विद्यालय के विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति मिलती है। विद्यार्थियों में अनुशासन का पाठ पढ़ाने व उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है कि प्रार्थना सभा कार्यक्रम को रोचक बनाया जाए क्योंकि विद्यार्थी विद्यालय में प्रवेश करने के बाद अध्ययन की शुरूआत प्रार्थना सभा से ही करता है यहीं से उनके सर्वांगीण विकास की नींव रखनी चाहिए। शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित 30 मिनट के कार्यक्रम में बिना किसी बड़े फेरबदल के इस को प्रभावी बनाया जा सकता है इसके लिए इसके संचालन व निर्धारित कुछ हिस्से में परिवर्तन करके प्रभावी बनाया जा सकता है निम्न उपाय के द्वारा प्रार्थना सभा को रुचिकर व ज्ञानवर्धक बनाया जा सकता है ।
● प्रार्थना सभा कार्यक्रम के संचालन में महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए उसका दायित्व विद्यार्थियों को सौंपा जाये । इसके लिए 4 विद्यार्थियों का चयन किया जाए इन विद्यार्थियों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें 2 विद्यार्थियों में नेतृत्व करने की क्षमता हो तथा दो ऐसे विद्यार्थियों का चयन किया जाए जो अनुशासित व पढ़ाई में होनहार हो। यदि विद्यालय में सहशिक्षा हो तो चयनित चार प्रार्थना मॉनिटर में दो लड़कियों का चयन किया जाए निश्चित समय अंतराल बाद अन्य विद्यार्थियों को यह दायित्व सौंपा जाए ।
● प्रार्थना मॉनिटर ही प्रार्थना का संपूर्ण संचालन करें जैसे की प्रार्थना के लिए घंटी लगाना, प्रार्थना के लिए छात्रों की लाइन बनाना, प्रार्थना कार्यक्रम के अनुसार कक्षा में छात्रों को कक्षावार भेजने आदि की कार्यवाही करें ।
● प्रार्थना सभा में सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कक्षा वार कार्यक्रम निश्चित कर देना चाहिए जैसे कक्षा 6 के विद्यार्थी रोल नंबर के अनुसार प्रत्येक दिन अनमोल वचन बोलेगा। कक्षा 7 से 1 विद्यार्थी प्रेरक प्रसंग बोलेगा। कक्षा आठ का एक विद्यार्थी प्रतिज्ञा बोलेगा। इसी प्रकार कक्षा 9 से 1 विद्यार्थी दैनिक समाचार सुनाएगा।
● प्रार्थना सभा में सप्ताह में एक बार छात्रों के नाखून, दांत तथा ड्रेस आदि का निरीक्षण करना चाहिए यह कार्य चारों प्रार्थना मॉनिटर की देखरेख में होना चाहिए ।
● प्रार्थना सभा में शिक्षकों की भूमिका मार्गदर्शक की होनी चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी शिक्षक प्रार्थना सभा में सक्रिय रूप से भाग ले प्रत्येक शिक्षक का यह दायित्व है कि वह समय-समय पर ज्ञानवर्धक जानकारी दें यह जानकारी उसके स्वयं के विषय से संबंधित या अन्य जानकारी भी हो सकती है।
● प्रार्थना कार्यक्रम में रोचकता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि इसके कुछ हिस्से में समय-समय पर परिवर्तन किया जाए। जैसे सामान्य ज्ञान, विज्ञान की जानकारी,अंग्रेजी के शब्दों की जानकारी,रोचक तथा प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आदि को एक समय अंतराल के बाद शामिल करना चाहिए।
● अगर विद्यालय में बीते दिन अगर किसी कक्षा या किसी छात्र ने प्रशंसनीय कार्य किया है तो प्रार्थना सभा के मंच पर उस छात्र या कक्षा को आगे बुलाकर प्रोत्साहित किया जाए। प्रोत्साहन के रूप में पुरस्कार देना चाहिए जिससे अन्य छात्रों को भी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिले ।
● वर्ष में एक बार गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर बेस्ट प्रार्थना मॉनिटर का पुरस्कार देना चाहिए जिससे कि दूसरे विद्यार्थी प्रार्थना मॉनिटर बनने के लिए प्रेरित हो।
● ऐसे विद्यार्थी को जो प्रार्थना कार्यक्रम में अपनी संकोची प्रवृत्ति के कारण ज्यादा सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते ऐसे विद्यार्थियों की इस प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए कक्षा अध्यापक का यह दायित्व बनता है कि वह 1 दिन पूर्व कक्षा में कोशिश करें कि अमुक विषय से संबंधित प्रश्नों के उत्तर पूछे जाएंगे। प्रार्थना सभा में पूरे कक्षा से प्रश्न ना पूछ कर केवल चार पांच बच्चों से पूछा जाए ऐसा केवल महीने में दो से तीन बार किया जाए।
सभा विशेष ध्यान रखने योग्य -
प्रार्थना सभा एक ही तरह की ना हो उस में विविधता भी आवश्यक है । क्योंकि कोई भी कार्य एक ही प्रकार से करने से निरसता आती है एवं बच्चों की रुचि कम हो जाती है जैसे कि स्थिर पानी के तालाब में कंकर डालो, हिलता पानी कितना अच्छा लगता है। कहने का अभिप्राय है कि थोड़ी सी आत्मविश्वास की बात, थोड़ी सी देश प्रेम की बात ,थोड़ी सोच की बात, कभी समय के सदुपयोग की बात,कभी विनम्रता की बात,कुछ दृढ़ विश्वास की बात,कभी पर्यावरण की बात, कभी पोस्टिक आहार की बात तो कभी सद्भावना की बात सामूहिक प्रतिज्ञा के की जाए तो इससे आत्मविश्वास बढ़ता है । विनम्रता व्यक्ति को परोपकारी बनाती है विनम्र व्यक्ति ज्ञानवान और गुणवान होता है और जानता है कि वास्तव में ज्ञान का और गुणों का क्या महत्व है की कोई सीमा नहीं है इस सत्य से परिचित विद्यार्थी एक आदर्श विद्यार्थी के रूप में विकसित होता है और दूसरों से राग द्वेष करने की अपेक्षा हुआ हमेशा दूसरों की मदद करता है तुलसीदास ने कहा है "वृक्ष कबहुं नहिं फल भखे, नदी न संचे नीर परमार्थ के कारण साधु न धरा शरीर"
निष्कर्ष -
उपर्युक्त बिंदुओं के अनुसार प्रार्थना कार्यक्रम का संचालन करके प्रार्थना सभा को रुचिकर व अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है इसके प्रतिफल के रूप में विद्यार्थियों में अनुशासन एवं नेतृत्व गुण विकसित होगा तथा विद्यार्थियों को जिम्मेदारी का एहसास होगा। इस तरह विद्यालय में अनुशासनहीनता की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी इसकी सफलता पूर्णत प्रधानाचार्य व उनके सहयोगी अध्यापकों पर निर्भर करेगी। विद्यार्थियों को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।
✍🏻 मदन लाल मीणा, व.अध्यापक
( मार्फत C/O सूबेदार रावत गर्ग उण्डू )
ग्राम - चिड़िया, उपखंड- गिड़ा, बाड़मेर, राजस्थान ।