भारत देश की दिव्य भूमि पर कई महान विद्वानों संतो की तपोभूमि व कर्म भूमि रही है। महिला वर्ग में ऐसी ही एक महान विदुषी गार्गी ने गर्ग वंश में जन्म लेकर भारत देश को बहुत गौरवपूर्ण सम्मान दिया था।
आज आपको ऐसी कुछ Great women के बारे मे बताने जा रहा हुँ जो न सिर्फ Indian History मे बल्की पुरे विश्व के History मे अपनी अनोखी छाप छोडती है। इन women ने शिक्षा से लेकर राजनीति तक और भक्ति से लेकर शक्ति तक के क्षेत्रो मे जिस प्रकार अपने लौहा मनवाया उससे इन्होने ये साबित कर दिया की भारतीय स्त्रीयाँ अबला नही सबला है। तो चलिए जानते great women of Indian History के बारे में।
गर्ग वंश की कुल दीपिका विदुषी गार्गी -
महान 'विदुषी गार्गी गर्ग' वैदिक काल की एक विदुषी महिला थी। इनके पिता महर्षि वाचकनु थे इसलिए इनका नाम वाचकन्वी रखा गया और महर्षि गर्ग के कुल मे जन्म लेने के कारण इन्हे गार्गी नाम से जाना जाता है।
गार्गी एक महान प्राकृतिक दार्शनिक, वेदो की व्याख्याता और ब्रह्म विद्या की ज्ञाता थी। इन्होने शास्त्रार्थ मे कई विद्वानो को हराया था। एक बार राजा जनक द्वारा आयोजित यज्ञ मे गार्गी ने महर्षि याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ किया। इस शास्त्रार्थ मे गार्गी के द्वारा पुछे गए प्रशनो के उत्तर देने के लिए महर्षि याज्ञवल्क्य को ब्रह्म दर्शन का प्रतिपादन करना पड गया।
गार्गी वेद उपनिषदों की ज्ञाता -
गार्गी वाचकन्वी ' (लगभग 700 ईसा पूर्व का जन्म) एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक थी। वेदिक साहित्य में, उन्हें एक महान प्राकृतिक दार्शनिक, वेदों के प्रसिद्ध व्याख्याता, और ब्रह्मा विद्या के ज्ञान के साथ ब्रह्मवादी के नाम से जाना जातीं है। बृहदारण्यक उपनिषद के छठी और आठवीं ब्राह्मण में उसका नाम प्रमुख है क्योंकि वह विद्या के राजा जनक द्वारा आयोजित एक दार्शनिक बहस में ब्राह्मण्य में भाग लेती है और संयम (आत्मा) के मुद्दे पर परेशान प्रश्नों के साथ ऋषि यज्ञवल्क्य को चुनौती देती है। यह भी कहा जाता है कि ऋग्वेद में कई भजन लिखे हैं। वह अपने सभी ब्रह्मचर्य बने और परंपरागत हिंदुओं द्वारा पूजा में आयोजित किया गया। ऋषि गर्ग की वंश (सी। 800-500 ईसा पूर्व) में ऋषि Vachaknu की बेटी गार्गी, का नाम उसके पिता के नाम पर गर्ग Vachaknavi के रूप में किया गया था। एक युवा उम्र से वे वैदिक ग्रंथों में गहरी रूचि प्रकट की और दर्शन के क्षेत्र में बहुत ही कुशल थीं। वह वैदिक काल में वेद और उपनिषद में अत्यधिक जानकार बन गए थे और अन्य दार्शनिकों के साथ बौद्धिक बहस आयोजित करते थे। वाचकन्वी, वचक्नु नाम के महर्षि की पुत्री थी। गर्ग गोत्र में उत्पन्न होने के कारण वे गार्गी नाम से प्रसिद्ध हैं।
प्राचीन भारत की महान ब्रह्मज्ञानी थी गार्गी -
गार्गी ( Gargi) वेदज्ञ और ब्रह्माज्ञानी थी तो वे सभी प्रश्नों के जवाब जानती थी। यहां इस कहानी को बताने का तात्पर्य यह है कि अर्जुन की ही तरह गार्गी के प्रश्नों के कारण ‘बृहदारण्यक उपनिषद्’ की ऋचाओं का निर्माण हुआ। यह उपनिषद (Upanishad) वेदों का एक हिस्सा है।अगर वैदिक साहित्य (Vedic literature) पर सूर्या सावित्री छाई हैं तो ब्राह्मण और उपनिषद साहित्य पर गार्गी वाचक्नवी छाई हैं।
सूर्या तब हुई जब देश में मंत्रों की रचना समाप्ति की ओर थी और Mahabharata से थोड़े ही समय पूर्व उसने विवाह सूक्त की रचना कर वैदिक साहित्य और महाभारत पूर्ववर्ती समाज में इस अर्थ में क्रान्ति ला दी थी कि उसने विवाह संस्था( Marriage institution) का रूप ही बदल दिया और आज से करीब पांच हजार साल पहले उस विवाह प्रथा का चलन किया जो हम आज तक अपनाए हुए हैं। वाचक्नवी गार्गी इस देश में तब थीं जब वैदिक मंत्र रचना के अवसान के बाद चारों ओर ब्रह्मज्ञान पर वाद-विवाद और बहसें हो रही थी और याज्ञवल्क्य जिस परिदृश्य को अपना एक अद्भुत नेतृत्व प्रदान कर रहे थे।
इतिहास में प्रकाश स्तंभ भारत का गौरव गार्गी गर्ग -
गार्गी उसी युग में हुई थीं और जनक की ब्रह्मसभा में उन्हीं याज्ञवक्ल्य के साथ जबर्दस्त बहस करके गार्गी ने एक ऐसा नाम हमारे इतिहास में कमाया कि इस प्रकाश स्तम्भ को देश आज भी गौरवपूर्वक याद करता है। कौन थी गार्गी वाचक्नवी पूरा भारत जिसे पिछले पांच हजार साल से आदरपूर्वक याद करता आ रहा है उसके बारे में कोई खास सूचना पूरे संस्कृत साहित्य में हमें नहीं मिलती। क्या इसे अजीब माना जाए या एक विदुषी नारी का अपमान कुछ भी नहीं क्योंकि इस युग के जितने भी बड़े-बड़े दार्शनिक थे उनमें से किसी के बारे में कोई खास जानकारियां हमें नहीं मिलतीं। बस उतनी ही मिलती है जितनी ब्रह्मचर्चाओं के दौरान हमें संयोगवश मालूम पड़ जाती हैं। याज्ञवल्क्य के बारे में भी यही सच हैं।
गार्गी का पूरा नाम गार्गी वाचक्नवी बृहदारण्यकोपनिषद 3.6 और 3.8 श्लोक में वही मिलता है जहां वह जनक की राजसभा में याज्ञवल्क्य से अध्यात्म संवाद करती है। इसी वाचक्नवी के आधार पर बाद में लोगों ने कल्पना कर ली कि किसी वचक्नु नामक ऋषि की पत्नी होने के कारण गार्गी का नाम वाचक्नवी पड़ गया। गार्गी अपने समय की प्रखर वक्ता और वाद-विवाद में अप्रतिम होने के कारण गार्गी का नाम वाचक्नवी प्रसिद्ध हो गया होगा। जैसे कई बार प्रसिद्ध सन्तानें अपने पिता को नाम दे दिया करती हैं, वैसे ही गार्गी वाचक्नवी ने अपने पिता को अपने गुण से नाम दे दिया होगा। इसलिए गार्गी वाचक्नवी का अर्थ हुआ वह गार्गी जिसे संवाद या विवाद में कोई हरा न सके। ऐसी महान महिला और गर्ग वंश की कुल दीपिका विदुषी गार्गी को शत् शत् नमन् ।
- ✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज'
( सहायक उपानिरीक्षक - रक्षा सेवाऐं भारतीय सेना
और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )